काम मे नारी की लज्जा ,घूँघट ,पायल बड़े हितकारी हैं
विवाह के कुछ वर्ष तो दंपत्ति मे काम,आकर्षण रहता हैपर आज कल का निर्लज्ज समाज नर नारी मे खुला पन जहां घर मे सम्बन्धों को भी बिगाडता है वहीं घूँघट न होने से नारी नर जैसी होती जा रही है - और उसकी खुल्ली काम की ईक्षा भले एक समय इसे बड़ा मॉडर्न मानते थे पर काम का सूत्र है नारी का न करना ,लजाना - जहां नारी लजाना छोड़ती है और खुलके जनाने अंगों पे ,उसके ठहराव पे बोलती है वहाँ आदमी मे नपुंसकता आने लगती है - और हानी पत्नी को ही हुई - फिर पाती उससे कटने लगता है - डरता है कि फिर कुछ सुनने को मिला तो - और फिर दोनो एक दूसरे पे फालतू के आरोप लगा के दूर हो जाते हैं - आकर्षण खत्म होने से ,पुरुष का सम्मान खत्म होने से घर मे दो नर से होने लगते हैं - पहले घरों मे एक ही अहंकार होता था - नर अब नारी हावी है और +35 नारी को तृप्त करना इन हालातों मे अनेकों को संभव नहीं होता - ऐसे मे लज्जा ,नारी का नर को उकसाते हुए बचना ,नर से डर दिखाना आदि अनेकों ऐसे त्रिया कर्म हैं जिनसे दाम्पत्य जीवन को नारी बचाए ,पति से संबंधो को बनाए रखती है
दाम्पत्य जीवन मे काम सुख इन संबंधो को अच्छा करता है और इसमे लज्जा बड़ा हथियार है -- जिसे समझ आए अपनाए - जो अहंकार रखे और पति से बराबरी नहीं अगाबरी करे तो वो उसकी जाने - अँग्रेजी से लज्जा नष्ट है और आज हर घर का दाम्पत्य जीवन दुखमय है - इसीलिए यहाँ चित्र घूँघट का है काम दर्शन का नहीं - तो नारी लजाना छोड़ के अपना ही नुकसान कर रही है - परिवार को नारी ही बांधती है ,और पति को काबू मे रखने का हथियार है घूँघट - बस हाँ अति न हो - घूँघट आजीवन आकर्षण देता है
अरे नर नारी दोनों एक ही तो हैं - नर ने विशेष गुण धारण किए तो नर बना - नारी ने लज्जा ,लचक ,त्रिया धारण किया तो नारी बनी - अब आज नारी नर के गुणो कि ओर भाग रही है - और क्योंकि मुक़ाबला मर्दों से करने कि ईक्षा है तो गुण नर के आएंगे ही और देह भले नारी कि हो अगर गुण नर के आ गए हैं तो आकर्षण नही रहेगा - अतः लजाओ और वैवाहिक जीवन का आनंद लो - सबसे बड़ा काम सूत्र है " लज्जा " और नर अँग्रेजी के चक्करों मे पड़के नारी कि लज्जा नष्ट न करना वरना तू ही रोएगा नपुंसक बनके - काम विचार वैधानिक साथी साथ होने पे ही उत्पन्न हों ,दुश्चरित्र लज्जाहीन नारी से संबंध नर को नपुंसक बनाते हैं । दिन भर काम चिंतन लिंग कि माशपेशियों को क्षीण करता है ,रोज दवा के रूप मे थोड़ा उत्तेजना विचारों से अवश्य बनाओ
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